माघ बिहू 2021

माघ बिहू 2021 - India's Leading Festival Blog

माघ बिहू 2021

मकर संक्रांति, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो पूरे भारत में विभिन्न नामों, शैलियों और अलग अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस भिन्नता के बावजूद सबका सार एक ही है। असम में मकर संक्रांति को माघ बिहू के नाम से भी जाना जाता है। इसे मगहर दोमाही या भोगली बिहू (उत्साह का बिहू) भी कहा जाता है। यह पूर्वोत्तर भारत में, विशेष रूप से असम के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। वहां यह सबसे प्रमुख सांस्कृतिक उत्सवों में से एक है। यह त्यौहार पूर्वोत्तर भारत क्षेत्र के कटाई के मौसम के समाप्ति और असमिया नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इसमें एक अंतर और भी है। जहां एक ओर शेष भारत संक्रांति का यह पावन पर्व भगवान सूर्य को समर्पित करता है, वहीं असम के लोग इसे अग्निदेव को समर्पित करते हैं, जो अग्नि के स्वामी हैं।

तिथि: शुक्रवार, 15 जनवरी 2021
माघ बिहू का संक्रांति काल: 14 जनवरी 2021, सुबह 8:30 बजे

माघ बिहू का महत्व

माघ बिहू प्रमुख रूप से मूल असमिया के साथ प्रख्याति रखता है। यह पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न भागों, विशेषकर असम और अरुणाचल प्रदेश में मनाया जाता है। कृषक या खेती बाड़ी समुदाय के लिए यह त्यौहार अनन्य महत्व रखता है, क्योंकि यह फसल की कटाई का द्योतक त्योहार है और साथ ही सर्दियों के अंत का प्रतीक है। “बिहू” संस्कृत शब्द “बिशू” से लिया गया है जिसका अर्थ है कटाई के मौसम के दौरान “देवताओं से आशीर्वाद और समृद्धि की प्रार्थना करना”। माघ बिहू को भोगली बिहू और मगहर दोमाही के नाम से भी जाना जाता है। ‘भोग’ शब्द का अर्थ है भोजन, जो इस त्योहार का सार है, अर्थात सारे समुदाय का एक साथ मिलकर खाना पीना, या भोजन करना।

माघ बिहू 2021: धार्मिक विधियां और परंपराएं

प्रीतिभोज और अलाव जलाना इस त्योहार के उत्सव का प्रतिनिधित्व करते हैं। पूर्व समय में यह त्योहार पूरे माघ के महीने चलता था, जिसमें इसका नाम माघ बिहू पड़ा है। माघ बिहू त्यौहार असमिया कैलेंडर के अनुसार पौष महीने के आखरी दिन शुरू होकर माघ महीने में एक सप्ताह तक चलता है। पौष महीने के आखिरी दिन को उरुका के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी पुरुष एक साथ मिलकर अस्थायी झोपड़ियां बनाते हैं, जिसे “मेजी” कहा जाता है। ये झोपड़ियां पेड़ की पत्तियों, बांस और घास फूस से बनाई जाती है। महिलाएं पारंपरिक पद्धति से विभिन्न प्रकार के पारंपरिक पकवान बनाकर इन मेजी के अंदर एक साथ रख देती इनमें पीठा और लारू जैसी पारंपरिक मिठाइयां भी शामिल हैं। विभिन्न जनजातियों और समुदायों के लोग सामूहिक रूप से इस त्योहार को मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं। एक सामुदायिक प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है और सभी लोग मेजी के इर्दगिर्द नाचते-गाते हुए रात बिताते हैं। समुदाय के युवा अच्छे से सजधज कर समूह बनाकर नृत्य करते हैं, या फिर नृत्य करती हुई लड़कियों के समूह के बाहर एक गोला बनाकर नाचते हैं। ऐसे समारोहों को मुकोली बिहू कहा जाता है। यह माहौल काफी रोमांच भरा और उत्तेजनापूर्ण होता है। इसमें शामिल हर एक व्यक्ति पुरे उत्साह के साथ त्यौहार में शामिल होकर उसका आनंद उठाता है। लकड़ी, हरे बांस, केले के पत्ते और घास से बने अलाव जलाए जाते हैं।

अगली सुबह माघ बिहू के दिन औपचारिक स्नान के बाद लोग अपने पूर्वजों और देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और कई तरह के प्रसाद और भोग चढ़ाते हैं। इसके बाद इस त्यौहार के लिए बनाई गई मेजीयों को जला दिया जाता है। इन झोपड़ियों को जलाने के बाद जमीन की पैदावार शक्ति को बढ़ाने के लिए राख को खेतों में बिखेर दिया जाता है। इन समारोहों में टेकेली भिंगा (घड़े तोडना) और भैसों की लढाई जैसे पारंपरिक असमिया खेल भी खेले जाते हैं।

असम के सभी भाई बहनों और क्षेत्रवासियों को माघ बिहू की बहुत बधाई।
माघ बिहू 2021 की शुभकामनाएं!!